संपादकीय अप्रैल 2021

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पत्र- पत्रिकाएँ हमारे जीवन के मूल्यवान अंग हैं। साहित्यिक पत्रिकाएँ, विधाओं के विकास, एक दम नयी विधा को सामने लाने, विकसित करने और किसी दूसरी भाषा से लायी हुई विधा को अपनी भाषा मे सम्मिलित करने की भी प्रशंसनीय भूमिका निभाती रहीं हैं। इस कार्य के लिए हिंदी साहित्य जगत के अनेकानेक और एक से बढ़ कर एक सूर्य साहित्यिक सौरमंडल को सुशोभित कर रहे हैं।
हमारा यह प्रयास होगा कि साहित्य मेघ मेघागम तक ही सीमित न रहे।
कविता, कहानी, उपन्यास, निबंध, नाटक, आलोचना, यात्रावृत्तांत, जीवनी, आत्मकथा तथा साहित्य की लगभग सभी विधाओं का प्रकाशन किया जाएगा। पत्रिका मे छपी सामग्री उच्च स्तरीय होगी। शोध आलेख को प्रमुखता दी जाएगी। जो इस पत्रिका का मूल उद्देश्य
हिंदी साहित्य के सुंदर बगीचों में साहित्य मेघ कौन -सा गुल खिलाएगा यह तो वक़्त ही बताएगा। ये केवल बादल बनकर उड़ जाएगा या समुंदर में मिलकर अपना अस्तित्व खो देगा या मोती बन जाएगा। इसका निर्णय भी आने वाला समय ही करेगा। निःसंदेह हमारे साहित्य प्रेम और उससे जुड़ाव ने हमें एक ऐसी ईश्वरीय प्रेरणा दी जिसे साहित्य मेघ के जन्म के रूप में देखा जा सकता है। साहित्य मेघ का यह प्रथम अंक है। पत्रिका के भावी भविष्य को लेकर अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ जी याद आ रहे हैं।
दैव मेरे भाग्य में है क्या बदा मैं बचूंगी या मिलूंगी धूल में या जागी गिर अंगारे पर किसी चू पडूंगी या कमल के फूल में। बह गई उस काल कुछ ऐसी हवा
वह समुंदर ओर आई अनमनी एक सुंदर सीप का मुंह था खुला
वह उसी में जा पड़ी मोती बनी (अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’)
साहित्य मेघ द्वारा हम सामाजिक कुरीतियों को मिटाने की दिशा में अग्रसर हैं। हम एक स्वस्थ समाज की कल्पना करते हैं। संकटकालीन स्थितियों में राष्ट्र प्रेम दिखाना है। वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना तथा समाज में मानव मूल्यों की स्थापना के साथ जन-जीवन को विकासोन्मुख बनाना भी हमारी पत्रिका का उद्देश्य है।
स्त्री लेखन व उनकी रचनाओं के बिना हमारा साहित्य मेघ शुष्क और नीरस होगा। किंतु उग्र नही उदार नारीवाद के पक्षधर हैं हम।
साहित्य मेघ के संदर्भ में एक विशेष बात यह भी है कि यह पत्रिका हिंदी ग़ज़ल को सच्चे शाब्दिक अर्थ में स्थापित करने में सहयोगी होगी।
दुष्यंत कुमार ने हिन्दी गजल को हिमालयी ऊंचाई प्रदान की है। किंतु निम्न में उनकी ग़ज़लों के कुछ शेरो को देखिए: ये सारा जिस्म झुक कर बोझ से दुहरा हुआ होगा मैं सजदे में नहीं था आपको धोखा हुआ होगा
यहां तो सिर्फ गूंगे और बहरे लोग बसते हैं ख़ुदा जाने वहां पर किस तरह जलसा हुआ होगा ___ सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं
हमारा प्रयत्न होगा कि हिंदी भाषा, साहित्य से
अप्रैल, 2021 – एक

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